कल तक कहा जाता था कि स्त्री की रक्षा का संपूर्ण दायित्व पुरूष पर है। 'पुरूष' अर्थात स्वभाव से कठोर व ईरादों से बुलंद तथा 'स्त्री' अर्थात व्यवहार से नम्र व भावनात्मक रूप से कमजोर। बचपन में भी जब भाई-बहन लड़ते थें, तब हमारे माता-पिता अक्सर यही कहते ...
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